भारत में लोग टाटा की कार क्यों नहीं खरीदते, यह जानने के बाद भी वे सबसे सुरक्षित कार हैं?
नमस्कार ।
वास्तव में यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि टाटा जैसी कंपनी फिर से 5 वें स्थान पर आ गई है।
आपके प्रश्न का सीधा उत्तर यह है कि लोगों की यह सोच है कि टाटा कार कुछ समय के उपयोग के बाद एक ट्रक की तरह महसूस कराना शुरू कर देती है जो वास्तव में अब ऐसा नहीं है। उदाहरण के लिए, टाटा की कारों में अपने सेगमेंट में सबसे अच्छा और सबसे प्रीमियम अहसास केबिन है।
इन आधुनिक टाटा कारों के केबिन को देखें।
टियागो और टिगॉर
टियागो और टिगोर के अपने सेगमेंट में सबसे अच्छी गुणवत्ता वाले केबिन हैं। जब मुझे पहली बार टियागो में सवारी मिली, तो मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं उस कीमत की कार में बैठा हूं।
मेरे चचेरे भाई के पास शीर्ष मॉडल टिगोर है और उन्होंने इसे 50000 किलोमीटर से अधिक के लिए संचालित किया है और यह अभी भी बहुत ही बेहतरीन स्थिति में है।
उनकी प्रतिस्पर्धा की तुलना में ये कारें ऊपर हैं।
इन कारों में कुछ यूरोपीय वाइब्स हैं। निर्माण की गुणवत्ता शानदार है और शरीर मजबूत है।
इस कार में एक ट्रक दुर्घटनाग्रस्त हो गया और सभी लोग बच गए।
टाटा नेक्सॉन।
यह टाटा के शस्त्रागार में दूसरा हथियार है। इस कार के सभी टचप्वाइंट सॉफ्ट टच मैटेरियल हैं और प्लास्टिक की गुणवत्ता ठीक है। यह ब्रेज़्ज़ा और द इकोस्पोर्ट से बेहतर है। इसकी तुलना करने वाली एकमात्र कार हुंडई वेन्यू है।
इंजन आपको खुश रखने के लिए पर्याप्त से अधिक हैं और मुझे नहीं लगता कि मुझे निर्माण गुणवत्ता के बारे में कुछ भी कहने की आवश्यकता है।
इस पर 3 टन का पोल गिर गया फिर भी सभी लोग बच गए
टाटा हेक्सा
मैं केवल एक ही बात कहना चाहता हूँ !! टाटा ने इस कार के साथ इसे पार्क से बाहर निकाल दिया है। यह एक लैंड रोवर पर आधारित है। तो आपको मूल रूप से 12 लाख के लिए एक लैंड रोवर मिलता है।
टाटा विश्व स्तरीय कार बना सकता है और बना रहा है। टाटा ने खुद को बदला है या यूँ कहूँ कि खुद को बदलना चाहिए।
केवल एक जिसे अपनी मानसिकता बदलने की आवश्यकता है, वह भारतीय खरीदार हैं।
लेकिन एक बात याद रखें दोस्तों, भले ही ये कारें सुरक्षित हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह आपको उतावली ड्राइव करने की स्वतंत्रता देती है।
हर कार की अपनी सीमाएं होती हैं चाहे वह बुगाटी हो, फेरारी या टाटा। हमेशा सीट बेल्ट पहनें क्योंकि इसके बिना एयरबैग काम नहीं करने वाला है।
तेज ड्राइव नही करें, समझदारी से ड्राइव करें और सुरक्षित ड्राइव करें।
उम्मीद है की यह मदद करेगा!
एक भारतीय होने के नाते आप किसी पाकिस्तानी को क्या सलाह देंगे जो अनुच्छेद 370 हटने से नाराज़ है ?
1.
आपने एक गधे को अपना बाप बना लिया, क्या हम नाराज़ हुए?
2.
आपके प्रधानमंत्री झोली फैलाये पूरी दुनिया में घूम रहे हैं, क्या हम नाराज़ हुए?
3.
आपके देश के प्रधानमंत्री दूसरे देशों में होटल के पैसे बचाने के लिए राजदूतों
के घर रुकने की बात करते हैं, क्या हम नाराज़ हुए?
4.
आपके देश में सेना सरकार को लात मारकर गिरा देती है, क्या हम नाराज़ हुए?
5.
आपके प्रधानमंत्री सेना के सामने सलामी ठोकते हैं, क्या हम नाराज़ हुए?
6.
आपके सांसद संसद के अंदर आपके प्रधानमंत्री को गालियां देते हैं, क्या हम नाराज़ हुए?
7.
आपने विश्वकप में शर्मनाक प्रदर्शन किया, क्या हम नाराज़ हुए?
8.
आपने विश्वकप हारने के बाद अपने देश में लाखों टीवी फोड़ डालीं, क्या हम नाराज़ हुए?
9.
आपके देश में तत्कालीन प्रधानमंत्री भ्रस्टाचार के दोषी पाए गए, क्या हम नाराज़ हुए?
10.
आपके नागरिकों को खाने के लिए खाना नहीं मिल रहा है, क्या हम नाराज़ हुए?
11.
आप सांस लेने के लिए भी चीन का सहारा लेते हैं, क्या हम नाराज़ हुए?
12.
खुद आपकी अभिनेत्री साबा कमर ने आपके पासपोर्ट धारकों के साथ होने वाले
अंतर्राष्ट्रीय अपमान की बात बताई, क्या हम नाराज़ हुए?
हम नाराज़
क्यों नहीं हुए?
"क्यूंकि यह आपके घर का मुद्दा है और हम दखल
देना नहीं चाहते।
ठीक इसी तरह
आप यह याद रखिये कि हमारा संविधान, हमारा राज्य, हमारी सरकार, हमारा देश हमारा है। हम अपने संविधान में
बदलाव करें य राज्यों के 100 टुकड़े कर दें, आपको इसपर बोलने का कोई हक़ नहीं है। इन विषयों पर सिर्फ एक भारतीय को खुश अथवा
दुखी होने का अधिकार है, किसी बाहरी को नहीं!"
क्या मैं ठीक
कह रहा हूँ?
नोटबंदी का सबसे मुख्य कारण|
काँग्रेस द्वारा किया गया विश्व का सबसे बड़ा घोटाला खुलना अभी बाकी है......बहुत बड़े काँग्रेसी और ब्यूरोक्रैट्स पकड़े जायेंगे। इसलिये चिदम्बरम को बार -बार जमानत दी जा रही है।*
*●दुनिया का सबसे बड़ा घोटाला खुलेगा 2019 के बाद जो शायद दुनिया में कहीं नहीं हुआ होगा और इस महाघोटाले का मुख्य अभियुक्त है चिदंबरम्*
*●क्यों किया गया अचानक नोटबन्दी का फैसला और क्यों टूट गयी पाकिस्तान की अर्थव्यस्था??*
*●सबूत भी बाहर आयेंगे। जाँच हो रही है।*
*●पीएम मोदी ने नोटबंदी करके इस घोटाले को रोक तो दिया, मगर उसके बाद यह बात निकल कर सामने आयी कि देश में बिलकुल असली जैसे दिखने वाले एक ही नंबर के कई नोट चल रहे थे। ये ऐसे नोट थे, जिन्हे पहचानना लगभग नामुमकिन था क्योकि ये उसी कागज़ पर छपे थे जिसपर भारत सरकार नोट छपवाती है।*
*●"डे ला रू" जो कि एक ब्रिटिश कंपनी है, इसके साथ मिलकर तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम एक बड़ा खेल खेल रहे थे, जिसमें उनके एडिशनल सचिव अशोक चावला और वित्त सचिव अरविंद मायाराम भी शामिल थे।*
*●कैसा खेला गया घोटाले का खेल???*
*●घोटाले का प्रारम्भ 2005 में तब हुई जब वित्त मंत्रालय में अरविन्द मायाराम वित्त सचिव के पद पर थे और अशोक चावला एडिशनल सचिव के पद पर थे।*
*●कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद 2006 में सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड एक कंपनी बनाई गयी, जिसके मैनेजिंग डायरेक्टर अरविंद मायाराम थे और चेयरमैन अशोक चावला थे। यानी दो सरकारी अधिकारी अपने अपने पदों पर रहते हुए अतिरिक्त प्रभार में इस कंपनी को चला रहे थे।*
*●इस प्रकार नियुक्तियों के लिए अपॉइंटमेंट्स कमिटी ऑफ़ कैबिनेट (ACC) के सामने विषय को रखकर उसके अनुमोदन की आवश्यकता होती है।*
*●किन्तु चिदंबरम ने भला कब नियम-कायदों की परवाह की जो अब करते??*
*●किन्तु चिदंबरम ने भला कब नियम-कायदों की परवाह की जो अब करते??*
*●अर्थात् ACC के सामने इन नियुक्तियों का विषय लाया ही नहीं गया और ऐसे ही इनकी नियुक्ति कर दी गयी जो इस दृष्टि से पूरी तरह अवैध थी।*
*●इसके बाद असली खेल शुरू हुआ। इस घोटाले में चिदंबरम के दायें व बायें हाथ बताये जाने वाले अशोक चावला व अरविंद मायाराम ने भारतीय रिज़र्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड (BRBNMPL), जो कि नोटों की छपाई का काम देखती है, उससे कहा कि उनकी कंपनी के साथ मिलकर सिक्योरिटी पेपर प्रिंटिंग के सप्लायर को ढूँढो जिसके बाद पहले से ब्लैकलिस्टेड की जा चुकी डे ला रू कंपनी से नोटों की छपाई में इस्तमाल होने वाले सिक्योरिटी पेपर को लेना जारी रखा गया।*
*●क्या इसके लिये चिदंबरम् को घूस दी गयी थी? इस ब्रिटिश कंपनी द्वारा या पाकिस्तान के आईएसआई द्वारा चिदंबरम को पैसा दिया जा रहा था??*
*●यह गंभीर जाँच का विषय है।*
*●दरअसल वित्त वर्ष 2009-10 के दौरान नकली मुद्रा रैकेट का पता लगाने के लिए सीबीआई ने भारत नेपाल सीमा पर विभिन्न बैंकों के करीब 70 शाखाओं पर छापेमारी की तो बैंकों से ही नकली करेंसी पकड़ी गयी।*
*●जब पूछताछ की गयी तो उन बैंक शाखाओं के अधिकारियों ने सीबीआई से कहा कि जो नोट सीबीआई ने छापें में बरामद किये हैं वे तो स्वयं रिजर्व बैंक से ही उन्हें मिले हैं।*
*●यह एक बेहद गंभीर खुलासा था क्योंकि इसके अनुसार आरबीआई भी नकली नोटों के खेल में संलिप्त लग रहा था!*
*●हालाँकि इतनी अहम खबर को इस देश की मीडिया ने दिखाना आवश्यक नहीं समझा क्योंकि उस समय कांग्रेस सत्ता में थी।*
*●इस खुलासे के बाद सीबीआई ने भारतीय रिजर्व बैंक के तहखानो में भी छापेमारी की और आश्चर्यजनक तरीके से भारी मात्रा में 500 और 1,000 रुपये के जाली नोट पकड़े गये।*
*●आश्चर्य की बात यह थी कि लगभग वैसे ही समान जाली मुद्रा पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा भारत में तस्करी से पहुँचाया जाता था।*
*●अब प्रश्न उठा कि ये जाली नोट आखिर भारतीय रिजर्व बैंक के तहखानों में कैसे पहुँच गये? आखिर ये सब देश में चल क्या रहा था??*
*●जाँच के लिये शैलभद्र कमिटी का गठन हुआ और 2010 में कमिटी उस वक़्त चौंक गयी जब उसे ज्ञात हुआ कि भारत सरकार द्वारा ही समूचे राष्ट्र की आर्थिक संप्रभुता को दाँव पर रख कर कैसे अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी को 1 लाख करोड़ की छपाई का ठेका दिया गया था!!!*
*●जाँच हुई तो ज्ञात हुआ कि डे ला रू कंपनी में ही घोटाला चल रहा था। एक षड्यंत्र के तहत भारतीय करेंसी छापने में उपयोग होने वाले सिक्योरिटी पेपर की सिक्योरिटी को घटाया जा रहा था ताकि पाकिस्तान सरलता से नकली भारतीय करेंसी छाप सके और इसका उपयोग भारत में आतंकवाद फैलाने में किया जा सके!!*
*●इस समाचार के सामने आते ही भारत सरकार द्वारा डे ला रू कंपनी पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया।*
*●मगर अरविन्द मायाराम ने इस ब्लैकलिस्टेड कंपनी से सिक्योरिटी पेपर लेना जारी रखा। इसे लेने के लिये उसने गृह मंत्रालय से अनुमति ली।*
*●कहा गया कि यह फाइल चिदंबरम को दिखाई ही नहीं गयी, जबकि यह बात मानने लायक ही नहीं क्योकि वित्त मंत्रालय से यदि गृहमंत्रालय को कोई भी पत्र भेजा जाता है तो पहले अनुमोदन के लिये वित्तमंत्री के सामने पेश किया जाता है।*
*●डे ला रू कंपनी से भारत को दिये जाने वाले सिक्योरिटी पेपर के सिक्योरिटी फीचर को कम किया जा रहा था। यह कंपनी पाकिस्तान के लिये भी सिक्योरिटी पेपर छापने का काम करती है। फिर यह आरोप लगा कि इस कंपनी द्वारा भारत का सिक्योरिटी पेपर पाकिस्तान को गुपचुप तरीके से दिया जा रहा था ताकि भारत के नकली नोट छापने में पाक को सरलता हो।*
*●यहाँ पाक आईएसआई का नाम सामने आया कि आईएसआई की ओर से कंपनी के कर्मचारियों को घूस दी जाती थी। मगर इस खेल में अरविंद मायाराम क्यों शामिल थे? क्यों वे ब्लैकलिस्टेड कंपनी से पेपर लेते रहे???*
*●जब 2014 में मोदी सरकार सत्ता में आयी, तब गृहमंत्री राजनाथ सिंह को ये बात पता चली कि इतना बड़ा गोलमाल चल रहा था। इसके बाद उन्होंने सिक्योरिटी पेपर डे ला रू कंपनी से लेना बंद करवाया।*
*●यह भी सामने आया कि इस कंपनी से सिक्योरिटी पेपर काफी महँगे दाम पर खरीदा जा रहा था, यानी यह कंपनी देश को लूट रही थी और देश का वित्तमंत्रालय इस काम में विदेशी कंपनी की मदद कर रहा था!!*
*●मायाराम के इस काले कारनामे की खबर पीएमओ को हुई तो पीएमओ ने गंभीरतापूर्वक इस मामले को उठाया और मुख्य सतर्कता आयुक्त द्वारा इसकी जांच करवाई।*
*●मुख्य सतर्कता आयुक्त द्वारा वित्तमंत्रालय से इससे जुडी फाइल माँगी गयी। इस वक़्त वित्तमंत्री अरुण जेटली बन चुके थे। मगर इसके बावजूद वित्त मंत्रालय द्वारा फाइल देने में देर की गयी।*
*●इसके बाद यह मामला पीएमओ से होता हुआ सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संज्ञान में आया और फिर मोदी ने खुद एक्शन लिया ।*
*●तब जाकर मुख्य सतर्कता आयुक्त के पास फाइल पहुँची।*
*●क्या जेटली ने फाइलें देने में देर करवाई या फिर कांग्रेसी चाटुकारों ने जो वित्त मंत्रालय तक में बैठे हैं? यह बात साफ़ नहीं हो पायी।*
*●नोटबंदी न करते मोदी तो नकली करेंसी का ये खेल चलता ही रहता। डे ला रू से सिक्योरिटी पेपर लेना बंद किया गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने और पीएम मोदी ने की नोटबंदी, जिसके कारण पाकिस्तान द्वारा नकली करेंसी की छपाई बेहद कम हुई और यही कारण है कि कांग्रेस के दस वर्षों में आतंकवादी घटनाएँ जो आम हो गयी थीं, वे मोदी सरकार के काल में नहीं के बराबर हुईं।*
*●कश्मीर के अलावा देश के किसी भी राज्य में बम ब्लास्ट नहीं हो पाये। आतंकियों तक पैसा पहुँचना जो बंद हो गया था।*
*●पीएम मोदी ने जाँच करवाई और मायाराम के खिलाफ मुख्य सतर्कता आयुक्त और सीबीआई द्वारा आरोप तय किये गये।*
*●जिस मायाराम के खिलाफ चार्ज फ्रेम किये गये हैं, उसी को राजस्थान में कांग्रेस सरकार बनते ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने आर्थिक सलाहकार के पद पर नियुक्त कर लिया। यानी एक घपलेबाज को अपना आर्थिक सलाहकार बना लिया।*
*●वहीँ अशोक चावला का नाम चिदंबरम के एयरसेल-मैक्सिस घोटाले में भी सामने आया।*
*●इसके बाद ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के चेयरमैन व पब्लिक इंटरेस्ट डायरेक्टर पद से अशोक चावला को इस्तीफा देना पड़ा।*
*●जुलाई 2018 में सीबीआई ने चिदंबरम को एयरसेल-मैक्सिस मामले में आरोपी बनाया था। सीबीआई ने चिदंबरम, उनके बेटे कार्ति और 16 अन्य के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी, जिसमें आर्थिक मामलों के पूर्व केंद्रीय सचिव अशोक कुमार झा, तत्कालीन अतिरिक्त सचिव अशोक चावला, संयुक्त सचिव कुमार संजय कृष्णा और डायरेक्टर दीपक कुमार सिंह, अंडर सेक्रेटरी राम शरण शामिल हैं।*
*●इस पूरे मामले से यह बात तो साफ़ हो जाती है कि चिदंबरम ने देश में केवल एक या दो नहीं बल्कि जहाँ-जहाँ से हो सका, वहां-वहां से देश को लूटा।*
*●चिदम्बरम व उसके बेटे कार्ति चिदंबरम ने मिलकर खूब लूटा और इस खेल में न केवल नौकरशाह शामिल रहे बल्कि न्यायपालिका में भी कई चिदंबरम भक्त बैठे हैं, जो आज भी उसे जेल जाने से बचाते आ रहे हैं।*
*●सभी में लूट का माल मिलकर बँटता था और यदि चिदंबरम जेल गये तो सीबीआई व ईडी की कम्बल कुटाई उनसे एक दिन भी नहीं झेली जायेगी और वो सब उगल देंगे।*
*●यदि ऐसा हुआ तो सभी जेल जायेंगे। यही कारण है कि चिदंबरम को हर बार अग्रिम जमानत दे दी जाती है।*
*●मगर यह भी तय माना जा रहा है कि , मोदी जी ,इस बार चिदंबरम को जेल में डालना तय है और फिर कई अन्य गड़े मुर्दे भी बाहर आयेंगे।*
*●देश को कैसे-कैसे और किस-किस ने लूटा, सबको एक-एक करके सजा होगी। कांग्रेसी चाटुकार नौकरशाहों समेत माँ-बेटे व कई कांग्रेसी नेता सलाखों के पीछे पहुँचेंगे।*