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भारत में लोग टाटा की कार क्यों नहीं खरीदते, यह जानने के बाद भी वे सबसे सुरक्षित कार हैं?



नमस्कार ।
वास्तव में यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि टाटा जैसी कंपनी फिर से 5 वें स्थान पर आ गई है।
आपके प्रश्न का सीधा उत्तर यह है कि लोगों की यह सोच है कि टाटा कार कुछ समय के उपयोग के बाद एक ट्रक की तरह महसूस कराना शुरू कर देती है जो वास्तव में अब ऐसा नहीं है। उदाहरण के लिए, टाटा की कारों में अपने सेगमेंट में सबसे अच्छा और सबसे प्रीमियम अहसास केबिन है।
इन आधुनिक टाटा कारों के केबिन को देखें।
टियागो और टिगॉर

टियागो और टिगोर के अपने सेगमेंट में सबसे अच्छी गुणवत्ता वाले केबिन हैं। जब मुझे पहली बार टियागो में सवारी मिली, तो मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं उस कीमत की कार में बैठा हूं।
मेरे चचेरे भाई के पास शीर्ष मॉडल टिगोर है और उन्होंने इसे 50000 किलोमीटर से अधिक के लिए संचालित किया है और यह अभी भी बहुत ही बेहतरीन स्थिति में है।
उनकी प्रतिस्पर्धा की तुलना में ये कारें ऊपर हैं।
इन कारों में कुछ यूरोपीय वाइब्स हैं। निर्माण की गुणवत्ता शानदार है और शरीर मजबूत है।
इस कार में एक ट्रक दुर्घटनाग्रस्त हो गया और सभी लोग बच गए।


टाटा नेक्सॉन।
यह टाटा के शस्त्रागार में दूसरा हथियार है। इस कार के सभी टचप्वाइंट सॉफ्ट टच मैटेरियल हैं और प्लास्टिक की गुणवत्ता ठीक है। यह ब्रेज़्ज़ा और द इकोस्पोर्ट से बेहतर है। इसकी तुलना करने वाली एकमात्र कार हुंडई वेन्यू है।
इंजन आपको खुश रखने के लिए पर्याप्त से अधिक हैं और मुझे नहीं लगता कि मुझे निर्माण गुणवत्ता के बारे में कुछ भी कहने की आवश्यकता है।
इस पर 3 टन का पोल गिर गया फिर भी सभी लोग बच गए
टाटा हेक्सा


मैं केवल एक ही बात कहना चाहता हूँ !! टाटा ने इस कार के साथ इसे पार्क से बाहर निकाल दिया है। यह एक लैंड रोवर पर आधारित है। तो आपको मूल रूप से 12 लाख के लिए एक लैंड रोवर मिलता है।
टाटा विश्व स्तरीय कार बना सकता है और बना रहा है। टाटा ने खुद को बदला है या यूँ कहूँ कि खुद को बदलना चाहिए।
केवल एक जिसे अपनी मानसिकता बदलने की आवश्यकता है, वह भारतीय खरीदार हैं।
लेकिन एक बात याद रखें दोस्तों, भले ही ये कारें सुरक्षित हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह आपको उतावली ड्राइव करने की स्वतंत्रता देती है।
हर कार की अपनी सीमाएं होती हैं चाहे वह बुगाटी हो, फेरारी या टाटा। हमेशा सीट बेल्ट पहनें क्योंकि इसके बिना एयरबैग काम नहीं करने वाला है।
तेज ड्राइव नही करें, समझदारी से ड्राइव करें और सुरक्षित ड्राइव करें।
उम्मीद है की यह मदद करेगा!
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एक भारतीय होने के नाते आप किसी पाकिस्तानी को क्या सलाह देंगे जो अनुच्छेद 370 हटने से नाराज़ है ?



1.       आपने एक गधे को अपना बाप बना लिया, क्या हम नाराज़ हुए?
2.      आपके प्रधानमंत्री झोली फैलाये पूरी दुनिया में घूम रहे हैं, क्या हम नाराज़ हुए?
3.      आपके देश के प्रधानमंत्री दूसरे देशों में होटल के पैसे बचाने के लिए राजदूतों के घर रुकने की बात करते हैं, क्या हम नाराज़ हुए?
4.      आपके देश में सेना सरकार को लात मारकर गिरा देती है, क्या हम नाराज़ हुए?
5.      आपके प्रधानमंत्री सेना के सामने सलामी ठोकते हैं, क्या हम नाराज़ हुए?
6.      आपके सांसद संसद के अंदर आपके प्रधानमंत्री को गालियां देते हैं, क्या हम नाराज़ हुए?
7.      आपने विश्वकप में शर्मनाक प्रदर्शन किया, क्या हम नाराज़ हुए?
8.      आपने विश्वकप हारने के बाद अपने देश में लाखों टीवी फोड़ डालीं, क्या हम नाराज़ हुए?
9.      आपके देश में तत्कालीन प्रधानमंत्री भ्रस्टाचार के दोषी पाए गए, क्या हम नाराज़ हुए?
10.   आपके नागरिकों को खाने के लिए खाना नहीं मिल रहा है, क्या हम नाराज़ हुए?
11.    आप सांस लेने के लिए भी चीन का सहारा लेते हैं, क्या हम नाराज़ हुए?
12.   खुद आपकी अभिनेत्री साबा कमर ने आपके पासपोर्ट धारकों के साथ होने वाले अंतर्राष्ट्रीय अपमान की बात बताई, क्या हम नाराज़ हुए?



हम नाराज़ क्यों नहीं हुए?
"क्यूंकि यह आपके घर का मुद्दा है और हम दखल देना नहीं चाहते।

ठीक इसी तरह आप यह याद रखिये कि हमारा संविधान, हमारा राज्य, हमारी सरकार, हमारा देश हमारा है। हम अपने संविधान में बदलाव करें य राज्यों के 100 टुकड़े कर दें, आपको इसपर बोलने का कोई हक़ नहीं है। इन विषयों पर सिर्फ एक भारतीय को खुश अथवा दुखी होने का अधिकार है, किसी बाहरी को नहीं!"
क्या मैं ठीक कह रहा हूँ?


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नोटबंदी का सबसे मुख्य कारण|

काँग्रेस द्वारा किया गया विश्व का सबसे बड़ा घोटाला खुलना अभी बाकी है......बहुत बड़े काँग्रेसी और ब्यूरोक्रैट्स पकड़े जायेंगे। इसलिये चिदम्बरम को बार -बार जमानत दी जा रही है।*
*●दुनिया का सबसे बड़ा घोटाला खुलेगा 2019 के बाद जो शायद दुनिया में कहीं नहीं हुआ होगा और इस महाघोटाले का मुख्य अभियुक्त है चिदंबरम्*
*●क्यों किया गया अचानक नोटबन्दी का फैसला और क्यों टूट गयी पाकिस्तान की अर्थव्यस्था??*

*●सबूत भी बाहर आयेंगे। जाँच हो रही है।*
*●पीएम मोदी ने नोटबंदी करके इस घोटाले को रोक तो दिया, मगर उसके बाद यह बात निकल कर सामने आयी कि देश में बिलकुल असली जैसे दिखने वाले एक ही नंबर के कई नोट चल रहे थे। ये ऐसे नोट थे, जिन्हे पहचानना लगभग नामुमकिन था क्योकि ये उसी कागज़ पर छपे थे जिसपर भारत सरकार नोट छपवाती है।*
*●"डे ला रू" जो कि एक ब्रिटिश कंपनी है, इसके साथ मिलकर तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम एक बड़ा खेल खेल रहे थे, जिसमें उनके एडिशनल सचिव अशोक चावला और वित्त सचिव अरविंद मायाराम भी शामिल थे।*
*●कैसा खेला गया घोटाले का खेल???*
*●घोटाले का प्रारम्भ 2005 में तब हुई जब वित्त मंत्रालय में अरविन्द मायाराम वित्त सचिव के पद पर थे और अशोक चावला एडिशनल सचिव के पद पर थे।*
*●कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद 2006 में सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड एक कंपनी बनाई गयी, जिसके मैनेजिंग डायरेक्टर अरविंद मायाराम थे और चेयरमैन अशोक चावला थे। यानी दो सरकारी अधिकारी अपने अपने पदों पर रहते हुए अतिरिक्त प्रभार में इस कंपनी को चला रहे थे।*
*●इस प्रकार नियुक्तियों के लिए अपॉइंटमेंट्स कमिटी ऑफ़ कैबिनेट (ACC) के सामने विषय को रखकर उसके अनुमोदन की आवश्यकता होती है।*
*●किन्तु चिदंबरम ने भला कब नियम-कायदों की परवाह की जो अब करते??*
*●अर्थात् ACC के सामने इन नियुक्तियों का विषय लाया ही नहीं गया और ऐसे ही इनकी नियुक्ति कर दी गयी जो इस दृष्टि से पूरी तरह अवैध थी।*
*●इसके बाद असली खेल शुरू हुआ। इस घोटाले में चिदंबरम के दायें व बायें हाथ बताये जाने वाले अशोक चावला व अरविंद मायाराम ने भारतीय रिज़र्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड (BRBNMPL), जो कि नोटों की छपाई का काम देखती है, उससे कहा कि उनकी कंपनी के साथ मिलकर सिक्योरिटी पेपर प्रिंटिंग के सप्लायर को ढूँढो जिसके बाद पहले से ब्लैकलिस्टेड की जा चुकी डे ला रू कंपनी से नोटों की छपाई में इस्तमाल होने वाले सिक्योरिटी पेपर को लेना जारी रखा गया।*
*●क्या इसके लिये चिदंबरम् को घूस दी गयी थी? इस ब्रिटिश कंपनी द्वारा या पाकिस्तान के आईएसआई द्वारा चिदंबरम को पैसा दिया जा रहा था??*
*●यह गंभीर जाँच का विषय है।*

*●दरअसल वित्त वर्ष 2009-10 के दौरान नकली मुद्रा रैकेट का पता लगाने के लिए सीबीआई ने भारत नेपाल सीमा पर विभिन्न बैंकों के करीब 70 शाखाओं पर छापेमारी की तो बैंकों से ही नकली करेंसी पकड़ी गयी।*
*●जब पूछताछ की गयी तो उन बैंक शाखाओं के अधिकारियों ने सीबीआई से कहा कि जो नोट सीबीआई ने छापें में बरामद किये हैं वे तो स्वयं रिजर्व बैंक से ही उन्हें मिले हैं।*
*●यह एक बेहद गंभीर खुलासा था क्योंकि इसके अनुसार आरबीआई भी नकली नोटों के खेल में संलिप्त लग रहा था!*
*●हालाँकि इतनी अहम खबर को इस देश की मीडिया ने दिखाना आवश्यक नहीं समझा क्योंकि उस समय कांग्रेस सत्ता में थी।*
*●इस खुलासे के बाद सीबीआई ने भारतीय रिजर्व बैंक के तहखानो में भी छापेमारी की और आश्चर्यजनक तरीके से भारी मात्रा में 500 और 1,000 रुपये के जाली नोट पकड़े गये।*
*●आश्चर्य की बात यह थी कि लगभग वैसे ही समान जाली मुद्रा पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा भारत में तस्करी से पहुँचाया जाता था।*
*●अब प्रश्न उठा कि ये जाली नोट आखिर भारतीय रिजर्व बैंक के तहखानों में कैसे पहुँच गये? आखिर ये सब देश में चल क्या रहा था??*
*●जाँच के लिये शैलभद्र कमिटी का गठन हुआ और 2010 में कमिटी उस वक़्त चौंक गयी जब उसे ज्ञात हुआ कि भारत सरकार द्वारा ही समूचे राष्ट्र की आर्थिक संप्रभुता को दाँव पर रख कर कैसे अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी को 1 लाख करोड़ की छपाई का ठेका दिया गया था!!!*
*●जाँच हुई तो ज्ञात हुआ कि डे ला रू कंपनी में ही घोटाला चल रहा था। एक षड्यंत्र के तहत भारतीय करेंसी छापने में उपयोग होने वाले सिक्योरिटी पेपर की सिक्योरिटी को घटाया जा रहा था ताकि पाकिस्तान सरलता से नकली भारतीय करेंसी छाप सके और इसका उपयोग भारत में आतंकवाद फैलाने में किया जा सके!!*
*●इस समाचार के सामने आते ही भारत सरकार द्वारा डे ला रू कंपनी पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया।*
*●मगर अरविन्द मायाराम ने इस ब्लैकलिस्टेड कंपनी से सिक्योरिटी पेपर लेना जारी रखा। इसे लेने के लिये उसने गृह मंत्रालय से अनुमति ली।*
*●कहा गया कि यह फाइल चिदंबरम को दिखाई ही नहीं गयी, जबकि यह बात मानने लायक ही नहीं क्योकि वित्त मंत्रालय से यदि गृहमंत्रालय को कोई भी पत्र भेजा जाता है तो पहले अनुमोदन के लिये वित्तमंत्री के सामने पेश किया जाता है।*
*●डे ला रू कंपनी से भारत को दिये जाने वाले सिक्योरिटी पेपर के सिक्योरिटी फीचर को कम किया जा रहा था। यह कंपनी पाकिस्तान के लिये भी सिक्योरिटी पेपर छापने का काम करती है। फिर यह आरोप लगा कि इस कंपनी द्वारा भारत का सिक्योरिटी पेपर पाकिस्तान को गुपचुप तरीके से दिया जा रहा था ताकि भारत के नकली नोट छापने में पाक को सरलता हो।*
*●यहाँ पाक आईएसआई का नाम सामने आया कि आईएसआई की ओर से कंपनी के कर्मचारियों को घूस दी जाती थी। मगर इस खेल में अरविंद मायाराम क्यों शामिल थे? क्यों वे ब्लैकलिस्टेड कंपनी से पेपर लेते रहे???*
*●जब 2014 में मोदी सरकार सत्ता में आयी, तब गृहमंत्री राजनाथ सिंह को ये बात पता चली कि इतना बड़ा गोलमाल चल रहा था। इसके बाद उन्होंने सिक्योरिटी पेपर डे ला रू कंपनी से लेना बंद करवाया।*
*●यह भी सामने आया कि इस कंपनी से सिक्योरिटी पेपर काफी महँगे दाम पर खरीदा जा रहा था, यानी यह कंपनी देश को लूट रही थी और देश का वित्तमंत्रालय इस काम में विदेशी कंपनी की मदद कर रहा था!!*
*●मायाराम के इस काले कारनामे की खबर पीएमओ को हुई तो पीएमओ ने गंभीरतापूर्वक इस मामले को उठाया और मुख्य सतर्कता आयुक्त द्वारा इसकी जांच करवाई।*
*●मुख्य सतर्कता आयुक्त द्वारा वित्तमंत्रालय से इससे जुडी फाइल माँगी गयी। इस वक़्त वित्तमंत्री अरुण जेटली बन चुके थे। मगर इसके बावजूद वित्त मंत्रालय द्वारा फाइल देने में देर की गयी।*
*●इसके बाद यह मामला पीएमओ से होता हुआ सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संज्ञान में आया और फिर मोदी ने खुद एक्शन लिया ।*
*●तब जाकर मुख्य सतर्कता आयुक्त के पास फाइल पहुँची।*
*●क्या जेटली ने फाइलें देने में देर करवाई या फिर कांग्रेसी चाटुकारों ने जो वित्त मंत्रालय तक में बैठे हैं? यह बात साफ़ नहीं हो पायी।*
*●नोटबंदी न करते मोदी तो नकली करेंसी का ये खेल चलता ही रहता। डे ला रू से सिक्योरिटी पेपर लेना बंद किया गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने और पीएम मोदी ने की नोटबंदी, जिसके कारण पाकिस्तान द्वारा नकली करेंसी की छपाई बेहद कम हुई और यही कारण है कि कांग्रेस के दस वर्षों में आतंकवादी घटनाएँ जो आम हो गयी थीं, वे मोदी सरकार के काल में नहीं के बराबर हुईं।*
*●कश्मीर के अलावा देश के किसी भी राज्य में बम ब्लास्ट नहीं हो पाये। आतंकियों तक पैसा पहुँचना जो बंद हो गया था।*
*●पीएम मोदी ने जाँच करवाई और मायाराम के खिलाफ मुख्य सतर्कता आयुक्त और सीबीआई द्वारा आरोप तय किये गये।*
*●जिस मायाराम के खिलाफ चार्ज फ्रेम किये गये हैं, उसी को राजस्थान में कांग्रेस सरकार बनते ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने आर्थिक सलाहकार के पद पर नियुक्त कर लिया। यानी एक घपलेबाज को अपना आर्थिक सलाहकार बना लिया।*
*●वहीँ अशोक चावला का नाम चिदंबरम के एयरसेल-मैक्सिस घोटाले में भी सामने आया।*
*●इसके बाद ने नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्‍टर्स के चेयरमैन व पब्लिक इंटरेस्‍ट डायरेक्‍टर पद से अशोक चावला को इस्तीफा देना पड़ा।*
*●जुलाई 2018 में सीबीआई ने चिदंबरम को एयरसेल-मैक्सिस मामले में आरोपी बनाया था। सीबीआई ने चिदंबरम, उनके बेटे कार्ति और 16 अन्‍य के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी, जिसमें आर्थिक मामलों के पूर्व केंद्रीय सचिव अशोक कुमार झा, तत्‍कालीन अतिरिक्‍त सचिव अशोक चावला, संयुक्‍त सचिव कुमार संजय कृष्‍णा और डायरेक्‍टर दीपक कुमार सिंह, अंडर सेक्रेटरी राम शरण शामिल हैं।*
*●इस पूरे मामले से यह बात तो साफ़ हो जाती है कि चिदंबरम ने देश में केवल एक या दो नहीं बल्कि जहाँ-जहाँ से हो सका, वहां-वहां से देश को लूटा।*
*●चिदम्बरम व उसके बेटे कार्ति चिदंबरम ने मिलकर खूब लूटा और इस खेल में न केवल नौकरशाह शामिल रहे बल्कि न्यायपालिका में भी कई चिदंबरम भक्त बैठे हैं, जो आज भी उसे जेल जाने से बचाते आ रहे हैं।*
*●सभी में लूट का माल मिलकर बँटता था और यदि चिदंबरम जेल गये तो सीबीआई व ईडी की कम्बल कुटाई उनसे एक दिन भी नहीं झेली जायेगी और वो सब उगल देंगे।*
*●यदि ऐसा हुआ तो सभी जेल जायेंगे। यही कारण है कि चिदंबरम को हर बार अग्रिम जमानत दे दी जाती है।*
*●मगर यह भी तय माना जा रहा है कि , मोदी जी ,इस बार चिदंबरम को जेल में डालना तय है और फिर कई अन्य गड़े मुर्दे भी बाहर आयेंगे।*
*●देश को कैसे-कैसे और किस-किस ने लूटा, सबको एक-एक करके सजा होगी। कांग्रेसी चाटुकार नौकरशाहों समेत माँ-बेटे व कई कांग्रेसी नेता सलाखों के पीछे पहुँचेंगे।*
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JOB HAZARD ANALYSIS

A job safety analysis, referred to as JHA or a job hazard analysis, is a process used for reviewing jobs or tasks to identify and address hazards. By evaluating the potential hazards of a specific job, controls can be put in place to reduce or eliminate injuries and illnesses. For this reason, performing a JHA is often seen as the first step to risk management.
Before beginning the JHA, the job or task that will be analyzed needs to be chosen. Job safety analysis take time, effort, planning, and action and most organizations do not have the capacity to evaluate each and every task. Because of this, it is important to prioritize based on injury or illness rates, the potential for severe injury or illness, the risk of human error leading to an accident or injury, the complexity of the job, and jobs that have recently been introduced or changed. It should be noted that the more specific the task or job being analyzed, the better.


The selected job is then broken down into a sequence of steps. Through observation, the individual conducting the analysis should outline the steps of the task, finding the sweet spot of recording enough information without going overboard with detail. It can be helpful to talk with workers during the observation to gain more insight and afterwards to ensure no steps are omitted from the list.
After observation, the next step is to identify potential hazards and look for the root cause. A few questions that can help guide this process include: What can go wrong? What are the consequences? How likely is it the hazard will occur? How could it happen and what are contributing factors? The answers to these questions should be documented consistently in order to ensure the hazard controls chosen in the following step will be successful.
Finally, it is time for controls to be implemented. While some improvements or solutions may be obvious, but the Hierarchy of Controls outlined by NIOSH can also be a helpful starting point. This hierarchy helps to determine the effectiveness of control systems with eliminate the hazard being most effective followed by substitution, engineering controls, administrative controls, with PPE ranking as least effective.
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GLOBAL WARMING--- ग्लोबल वार्मिंग l


जब धरती का तापमान
                          बढ़ जाता है और धरती गर्म होने लगती है, उसे ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं। यह तब होता
है जब ग्रीनहाउस की गैसेस सूरज की गर्मी और रोशनी को पकड़कर धरती के वायु मंडल में
रोक लेती हैं। यह लोगों, पशु पक्षियों और पेड़ों के लिए हानिकर होता है। जो इसको
सहन नहीं कर पाते हैं वे नष्ट हो जाते हैं।

       ग्लोबल वार्मिंग के अनेक कारण हैं। कार्बन
डाइऑक्साइड, मीथेन, क्लूरोफ्लुरो कार्बन, नाइट्रस ऑक्साइड्स आदि धरती को चारों ओर
से घेरे रहती हैं। सूरज की गर्म किरणें इनके अंदर प्रवेश कर सकती हैं पर वापस धरती
से बाहर नहीं जा पाती हैं। इसलिए सूरज की गरमाई धरती के करीब रहती है और धरती का तापमान बढ़ जाता है।     

            वैज्ञानिकों का कहना है कि 2050 तक धरती का तापमान 4° to 5°C और ज्यादा हो जायेगा। पिछली पांच शताब्दियों
में धरती का तापमान 1°C बढ़ा है। उसमें से आधे से ज्यादा वार्मिंग बीसवीं
शताब्दी में हुई है। इस प्रकार ग्लोबल वार्मिंग में बहुत तेज़ी से वृद्धि हो रही है।
 


            ग्लोबल वार्मिंग के कारण धरती के अनेक भागों पर बुरा असर होता है।
उसके कारण समुद्र का स्तर ऊँचा हो जाता है जिसकी वजह से नीचे टापू पानी से ढक जाते हैं। इससे अनेक पशुओं,
पौधों और लोगों को परेशानी होती है। ग्लोबल
वार्मिंग के कारण जंगलों में आग लग जाती है और जंगल नष्ट हो जाते हैं। इसलिए इसे रोकने के प्रयास राष्ट्रिय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर करे
जा रहे हैं।

'ग्लोबल वार्मिंग' शब्द को विभिन्न कारणों से पृथ्वी के वायुमंडल के औसत तापमान में वृद्धि के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह मुख्य रूप से मानव गतिविधियों की वजह से तापमान बढ़ रहा है। अब यह निबंध इसके कुछ कारणों, प्रभावों, और निवारक उपायों और समाधान प्रस्तुत करता है।

ग्लोबल वार्मिंग के कुछ प्रमुख कारणों में मानव गतिविधियों और ज्वालामुखीय विस्फोटों के कारण अवांछित गैसों या ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन शामिल है। यह अनुमान लगाया गया है कि 21 वीं शताब्दी के दौरान औसत वैश्विक सतह का तापमान 1.1 से 6.4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने की संभावना है गैसों के उत्सर्जन के परिणामस्वरूप। धरती पर प्रमुख ग्रीन हाउस गैसों में जल वाष्प, कार्बोन्डियोक्साइड (सीओ 2), मीथेन (सीएच 4), ओजोन (ओ 3) और नाइट्रोस ऑक्साइड (एन 2 ओ) शामिल हैं। इन गैसों को ठोस कचरे, फॉसिल ईंधन, फायरवुड और आधुनिक खेती जलाने से उत्पादित किया जाता है। इसी तरह,ऑटोमोबाइल और कारखानियां अन्य कारक हैं जो इन अनचाहे गैसों का उत्पादन करती हैं। इसलिए,हम कह सकते हैं कि शहरीकरण, औद्योगिकीकरण, अधिक आबादी और वनों की कटाई ग्लोबल वार्मिंग के मानव निर्मित कारणों को मापें।इसी तरह, ज्वालामुखीय विस्फोट भी वायुमंडल के औसत तापमान में वृद्धि करने में योगदान देते हैं, लेकिन इसे मनुष्यों द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।

ग्लोबल वार्मिंग के कुछ खतरनाक प्रभाव होने की संभावना है। उनमें से कुछ हिमनद पिघलने, समुद्र स्तर की वृद्धि, मौसम चरम सीमाएं, जैसे भारी बारिश और बारिश नहीं होती है, और इसी तरह। ग्लोबल वार्मिंग के अन्य प्रभावों में वर्षा के स्तर, कृषि उपज, व्यापार मार्ग, ग्लेशियर वापसी, प्रजाति विलुप्त होने और नई बीमारियों के उभरने में परिवर्तन शामिल है। इस प्रकार, इन प्राकृतिक आपदाओं को ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। इन आपदाओं के कारण, मौतों में वृद्धि, लोगों के विस्थापन, आर्थिक नुकसान, भूस्खलन, अधिक बाढ़ इत्यादि सीधे मौसम चरम सीमा के लिए जिम्मेदार हैं। उदाहरण के लिए, लोग गर्म क्षेत्रों में व्यवस्थित नहीं हो सकते हैं और ठंडे क्षेत्रों में माइग्रेट करने के लिए मजबूर हो जाते हैं, जिससे कुछ ठंडे देशों में अधिक आबादी की समस्याएं होती हैं।

ग्लोबल वार्मिंग के विनाशकारी प्रभाव को कम करने के लिए, कुछ निवारक उपाय और समाधान प्रभावी ढंग से कार्यान्वित किए जाते हैं।
उदाहरण के लिए, कारखानों से उत्पादित गैसों को आधुनिक प्रौद्योगिकियों के विकास से फंस जाना चाहिए। इसी प्रकार, विभिन्न ईंधन जलाने के बजाय बिजली या सौर ऊर्जा का उपयोग किया जाना चाहिए। इसी तरह, प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करना, उदाहरण के लिए जंगल, पृथ्वी का तापमान नियंत्रित किया जा सकता है।
अनावश्यक शहरीकरण और औद्योगिकीकरण को दुनिया के सभी राज्यों में कानूनी प्रावधानों को लागू करके कम किया जाना चाहिए। इसी तरह, वनीकरण कार्यक्रम प्रभावी ढंग से योजनाबद्ध और पूरी दुनिया में लागू किया जाना है।


निष्कर्ष निकालने के लिए हम कह सकते हैं कि मनुष्य ग्लोबल वार्मिंग के प्रमुख कारण हैं। उनकी अपरिमेय गतिविधियों ने पृथ्वी को गर्म और गर्म बना दिया है। दुनिया के सभी जीवित प्राणियों सहित मनुष्यों के कल्याण के लिए किसी भी वैज्ञानिक खोज और उद्योग का उपयोग किया जाना चाहिए। इसलिए, प्रत्येक राष्ट्र और व्यक्ति को वादा किया जाना चाहिए कि वह सर्वशक्तिमान द्वारा दी गई प्रकृति को प्रदूषित न करे |





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Working in the rain

The potential hazards present on a worksite can be exacerbated during inclement conditions such as rain. Working in the rain can cause slippery surfaces and limited visibility. However, steps can be taken to mitigate such hazards.

When working in the rain, California OSHA recommends:

Move cautiously. Although the weather may make you inclined to work more quickly to get out of the rain, this is dangerous. Because rain causes slick surfaces, work more slowly and deliberately – particularly when climbing ladders.
Use the correct equipment. Do not use electrical tools and equipment that are not specifically rated for outdoor use when working in the rain. Select hand tools with textured, nonslip grip handles.
Wear proper footwear with a deep tread to prevent slipping. In the rain, be sure your pant leg lies over your boot or shoe. Tucking your pants into footwear can cause water to enter.
Wear appropriate rain gear that includes both pants and a coat. Be sure the material is ventilated so it can be worn comfortably for extended periods. If it is cold, select wool or synthetic materials that insulate even when wet. Be certain clothing fits properly so it does not interfere with movement.
Use proper hand protection that features a strong, slip-proof grip. Make sure gloves are adequately tight and long enough to allow your rain coat sleeve to prevent water from entering.
Ensure adequate vision. If you wear glasses or goggles, use anti-fog spray or wipes on them before going outside. Wear a hood or hat to keep rain out of your eyes. Because a hood narrows your range of vision, be sure to look both ways when wearing one. When working at night, make sure lighting is adequate and the lights used are rated for outdoor use.
Make sure you can be seen. Wear high-visibility clothing, especially in areas with vehicle traffic and heavy machinery. Do not wear rain gear or vests that have become dull or are no longer reflective.

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CARBON MONOXIDE (CO)

CARBON MONOXIDE (CO)
 CO is a colorless, odorless and toxic gas
 CO is produced by incomplete burning of fuels in vehicles, generators, furnaces, charcoal grills, heaters,
and other construction equipment
 CO impedes the ability of blood to carry oxygen
 CO can rapidly accumulate in areas that are well ventilated
 Use of gasoline powered tools indoors can be fatal
 The symptoms of CO overexposure are: headache, nausea, weakness, dizziness, visual disturbance,
changes in personality and loss of consciousness
 If symptoms occur, immediately turn off equipment and go outdoors
 Watch co-workers for the signs of CO poisoning
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